Rajasthan Panchayati Raj Rules,1996 in Hindi
बैठकों में कारबार का संचालन
39. पंचायती राज संस्थाओं की बैठकें – कोई पंचायत एक पखवाड़े में कम से कम एक, कोई पंचायत समिति एक मास में कम से कम एक और कोई जिला परिषद् एक त्रिमास में कम से कम एक बैठक करेगी, तथापि, जिला परिषद् की किन्हीं दो बैठकों के बीच में चार मास से अधिक की कालावधि का अन्तर नहीं होगा।
परन्तु राज्य सरकार ऐसी तारीख को, जो उसके द्वारा नियत की जाये, बैठक आयोजित करने का निर्देश दे सकेगी।,
40 बैठकों का नोटिस – (1) बैठक का स्थान, तारीख और समय साथ ही उसमें संव्यवहृत किया जाने वाला कारबार विनिर्दिष्ट करते हुए कोई नोटिस किसी पंचायत की बैठक के कम से कम सात दिन पूर्व और किसी पंचायत समिति या किसी जिला परिषद् की बैठक के कम से कम दस दिन पूर्व क्रमश: सचिव, विकास अधिकारी, मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा संबंधित पंचायती राज संस्था के सभी सदस्यों को दिया जायेगा।
(2) पंचायत की दशा में सरपंच उप–नियम (1) में विनिर्दिष्ट से लघुतर नोटिस देकर कोई विशेष बैठक बुला सकेगा किन्तु किसी दशा में नोटिस की कालावधि तीन दिन से कम नहीं होगी।
(3) संबंधित पंचायती राज संस्था के प्रत्येक सदस्य को नोटिस उसके सामान्य निवास स्थान पर डाक द्वारा या ऐसी रीति से भेजा जायेगा जो सचिव/ विकास अधिकारी/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी समीचीन समझे । नोटिस पंचायत की किसी बैठक की दशा में विकास अधिकारी, पटवारी और राज्य सरकार के या किसी पंचायती राज संस्था के किसी भी अन्य तहसील स्तर के कृत्यकारी का, जिसकी ऐसी बैठक के विचार-विमर्श में उपस्थिति और भाग लेना बैठक के संयोजक को वांछनीय प्रतीत हो और पंचायत समिति या जिला परिषद् की किसी बैठक की दशा में ऐसे जिला और तहसील स्तर के अधिकारियों को, जिनकी ऐसी बैठक में उपस्थिति धारा 48 की उप-धारा (7) के अधीन वांछनीय समझी जाये, भी भेजी जायेगी।
(4) प्रत्येक बैठक के नोटिस की एक प्रति संबंधित पंचायती राज संस्था के कार्यालय के सूचना–पट्ट पर भी चस्पा की जायेगी।
41. बैठक की कार्यसूची – (1) किसी बैठक के लिए कार्य सूची सचिव/ विकास अधिकारी/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा सरपंच/ प्रधान/ प्रमुख के परामर्श से तैयार की जायेगी और उसके अन्तर्गत ऐसा कोई भी विषय हो सकेगा जिस पर उसकी राय में पंचायत/ पंचायत समिति/ जिला परिषद् द्वारा विचार किया जाना चाहिए और उसके अन्तर्गत सरपंच/ प्रधान/ प्रमुख द्वारा विनिर्दिष्ट कोई भी विषय होगा।
(2) सदस्यों द्वारा किये जाने के लिए ईप्सित प्रस्ताव भी कार्यसूची में सम्मिलित किया जायेगा परन्तु संबंधित पंचायती राज संस्था का अध्यक्ष ऐसे किसी प्रस्ताव को अनुज्ञात कर सकेगा जिससे उसकी राय में अधिनियम या तद्धीन बनाये गये नियमों के उपबंधों का उल्लंघन होता हो और उसका विनिश्चय अंतिम होगा।
(3) पंचायत की कार्य सूची के मामलें में निम्नलिखित मदें सदैव सम्मिलित की जायेंगी–
(I) गत बैठक का पालन,
(II) रोकड़ बही के अनुसार आय और व्यय का विवरण,
(III) मृत कृषकों का नामान्तरण,
(IV) आबादी भूमि और चरागाहों में अधिक्रमण का हटाया जाना,
(V) विभिन्न योजनाओं की निधियों का उपयोग,
(VI) सनिर्माण संकर्मो की निधियों का उपयोग,
(VII) ग्राम स्वच्छता, सड़कों पर प्रकाष व्यवस्था, ग्रामीण सड़कों, पेयजल, आंगनबाड़ी, उचित मूल्य की दुकानों, विद्यालय भवनों के संधारण का पुनर्विलोकन,
(VIII) टीकाकारण और परिवार कल्याण।
42. विशेष बैठक – पंचायती राज संस्था का अध्यक्ष, जब कभी वह उचित समझे, किसी पंचायती राज संस्था की कोई विशेष बैठक बुला सकेगा और ऐसी पंचायती राज संस्था के सदस्यों का कुल संख्या के एक–तिहाई के अन्यून के निवेदन पर, निवेदन की प्राप्ति की तारीख से पन्द्रह दिन के भीतर–भीतर, बुलायेगा। यदि अध्यक्ष ऐसा करने में विफल रहे तो पंचायत की दशा में उपाध्यक्ष या विकास अधिकारी, पंचायत समिति की दशा में मुख्य कार्यपालक अधिकारी और जिला परिषद् की दशा में खण्ड आयुक्त पंचायती राज संस्था के सभी सदस्यों को किसी पंचायत की दशा मंे तीन पूर्ण दिन का नोटिस और पंचायत समिति या जिला परिषद् की दशा में सात पूर्ण दिन का नोटिस देने के पश्चात ऐसी बैठक बुला सकेगा।
43. मतदान के लिए प्रश्न रखने की रीति – जब कोई प्रश्न मतदान के लिए रखा जाये तो अध्यक्षता करने वाला प्राधिकारी हाथ उठाने के लिए कहेगा और वह पक्ष या विपक्ष में उठाये गये हाथों की गिनती करेगा और परिणाम घोषित करेगा। मत बराबर होने की दशा में अध्यक्ष का निर्णायक मत होगा।
44. बैठक की कार्यवाहियों का कार्यवृत्त – (1) किसी पंचायती राज संस्था की कार्यवाहियां हिन्दी में होंगी और कार्यवृत्त पुस्तक में किसी पंचायत की दशा में सचिव द्वारा, किसी पंचायत समिति की दशा में विकास अधिकारी द्वारा और किसी जिला परिषद् की दशा में मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा अभिलिखित की जायेंगी।
(2) कार्यवाहियों में उपस्थित सदस्यों की उपस्थिति के साथ–साथ उनके हस्ताक्षर और किया गया विनिश्चय सम्मिलित हेागा। यद्यपि, बैठक में प्रस्तावित विभिन्न संकल्पों के संबंध हुए विचार–विमर्श या चर्चा का ब्यौरा देना आवश्यक नहीं होगा फिर भी कार्यवाही अभिलिखित करने वाले पदधारी का यह कर्तव्य होगा कि वह प्रत्येक ऐसे संकल्प का कारणो सहित ब्यौरा दे जो उसकी राय में अधिनियम या किसी भी अन्य विधि या तद्धीन बनाये गये नियमों के उपबंध या राज्य सरकार द्वारा जारी किये गये अनुदेशों से असंगत है।
(3) कार्यवाहियों की एक–एक प्रति पंचायत की दशा में पंचायत समिति को, पंचायत समिति की दशा में जिला परिषद् को, साथ ही पंचायत समिति के सभी सदस्यों को और जिला परिषद् की दशा में जिला परिषद् के सभी सदस्यों को भेजी जायेगी। ऐसी प्रतियां पन्द्रह दिन के भीतर–भीतर भेजी जायेंगी। उप–नियम (2) में यथानिर्दिष्ट अधिनियम या नियमों के उल्लंघन में (पारित) किसी भी संकल्प की दशा में, सचिव और विकास अधिकारी चौबीस घण्टे के भीतर–भीतर मुख्य कार्यपालक अधिकारी को रिपोर्ट करेगा तथा यदि ऐसा संकल्प जिला परिषद् द्वारा किया गया हो तो मुख्य कार्यपालक अधिकारी निदेशक, ग्रामीण विकास को रिपोर्ट करेगा। सचिव/ विकास अधिकारी/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी बैठक के कार्यवृत्त के सुसंगत उद्धरण संबंधित विभागों के जिला/तहसील स्तर के अधिकारियों को भी उनका स्तर पर आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजेगा।
45. बोलने पर कतिपय निर्बन्धन – (1) कोई सदस्य भाषण बोलते समयः–
(क) ऐसे किसी विषय पर टिप्पणी नहीं करेगा जिस पर कोई न्यायिक विनिश्चय लम्बित है,
(ख) किसी पंचायत राज संस्था के किसी सदस्य या अध्यक्ष या उपाध्यक्ष या सरकार के किसी भी अधिकारी के विरूद्ध कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगायेगा,
(ग) संसद की या किसी भी राज्य या किसी भी अन्य पंचायती राज संस्था के विघान की कार्यवाहियों के संचालन के बारे में संतापकारी अभिव्यक्ति का उपयोग नहीं करेगा,
(घ) मानहानिकारक शब्द नहीं कहेगा,
(ड़) पंचायती राज संस्था के कारबार में बाधा डालने के प्रयोजन के लिए अपने भाषण के अधिकार का उपयोग नहीं करेगा, या
(च) विचार–विमर्श में अपने स्वयं के तर्को की या अन्य सदस्यों द्वारा दिये गये तर्को की असंगतता पर या उबाऊ पुनरावृत्ति पर डटा नहीं रहेगा।
(2) प्रस्थापक, जिसे उत्तर देने का अधिकार है, के सिवाय कोई सदस्य एक बार से अधिक नहीं बोलेगा।
46. भाषणों की अवधि – अध्यक्षता करने वाला प्राधिकारी अपने विवेक से भाषणों की अवधि विनियमित करेगा।
47. बैठक के विचाराधीन विषय में जब किसी सदस्य का धनीय हित हो तब प्रक्रिया – (1) अध्यक्षता करने वाला प्राधिकारी किसी भी सदस्य को ऐसे किसी विषय की चर्चा में मतदान करने का भाग लेने से प्रतिषिद्ध कर सकेगा जिसमें उसे यह विश्वास है कि जनता पर उसके साधारण लागूकरण के अलावा ऐसे सदस्य का स्वयं का या भागीदार के रूप में कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष धनीय हित है।
(2) ऐसा सदस्य अध्यक्षता करने वाला प्राधिकारी के विनिश्चय को चुनौती दे सकेगा जो तत्पश्चात उस प्रश्न को बैठक में रखेगा और बैठक का विनिश्चय अंतिम होगा। तथापि, संबंधित सदस्य उस समय मतदान करने का हकदार नहीं होगा जब ऐसा प्रश्न बैठक में रखा जाये।
48. पंचायत समिति और जिला परिषद् की बैठकों के लिए कारबार की व्यवस्था – (1) किसी बैठक में संव्यवह्नत किये जाने वाले कारबार की व्यवस्था सामान्यतः निम्नलिखित रूप में होगीः–
(क) शपथ या अभिज्ञान, यदि आवश्यक हो,
(ख) पूर्ववर्ती बैठक की कार्यवाहियों का पुष्टिकरण,
(ग) पूर्ववर्ती बैठक के विनिश्चयों पर की गई कार्यवाही का एक विवरण,
(घ) स्थायी समितियों की कार्यवाहियों का परिषीलन,
(ड़) महत्वपूर्ण कागजपत्रों (संपरीक्षा रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट, परिपत्र, अनुदेश आदि) से संबंधित सूचना,
(च) पूर्ववर्ती तीन मास के लिए चालू स्कीमों की भौतिक और वित्तीय प्रगति रिपोर्ट,
(छ) वार्षिक योजना प्रस्तावों का क्रियान्वयन,
(ज) रोजगार पैदा करने और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का पुनर्विलोकन,
(झ) ग्रामीण स्वच्छता और ग्रामीण आवासन कार्यक्रम,
(ण) स्वयं की आय में वृद्धि के लिए उठाये गये कदम और राजस्व संग्रहण की प्रगति,
(ट) कोई भी अन्य कारबार जिसका लिया जाना अध्यक्षता करने वाले प्राधिकारी द्वारा अनुज्ञात किया जाये।
(2) अध्यक्षता करने वाला प्राधिकारी, अपने विवेक से या किसी भी सदस्य के प्रस्ताव पर उप–नियम (1) में प्रगणित कारबार की विभिन्न मदों की आपेक्षिक प्रक्रिया में ऐसे फेरफार कर सकेगा जिन्हें वह किसी मामले की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए आवश्यक समझे।
49. किसी सदस्य का निकाला जाना – अध्यक्षता करने वाला प्राधिकारी ऐसे किसी भी सदस्य को, जिसका आचरण उसकी राय में घोर रूप से विच्छृंखल है, बैठक से तुरन्त निकल जाने का निदेश दे सकेगा और निकल जाने के लिए इस प्रकार आदिष्ट कोई भी सदस्य तुरन्त ऐसा करेगा और उस दिन की बैठक की शेष अवधि के दौरान अपने को अनुपस्थित रख्ेागा।
50. किसी बैठक का निलम्बन – अध्यक्षता करने वाला प्राधिकारी किसी पंचायती राज संस्था की बैठक में उद्भुत गंभीर अव्यवस्था की दशा में किसी भी बैठक को अपने द्वारा विनिश्चित किये जाने वाले समय के लिए निलम्बित कर सकेगा।
51. स्थायी समिति की बैठकों के संचालन के लिए प्रक्रिया – (1) जब पर्याप्त कार्यसूची मदों पर चर्चा की जानी हो तो स्थायी समिति का अध्यक्ष किसी भी समय बैठक बुला सकेगा । प्रत्येक त्रिमास में एक बैठक आयोजित की जायेगी। प्रत्येकमास में कम से कम एक बैठक आयोजित की जाएगी।
परन्तु राज्य सरकार ऐसी तारीख को, जो उसके द्वारा नियत की जाये, बैठक आयोजित करने का निदेश दे सकेगी।
(2) बैठक के नोटिस, कार्यवृत्त अभिलिखित करने, विनिश्चयों पर मतदान करने, बोलने पर निर्बन्धन करने और बैठकों के संचालन के लिए प्रक्रिया वही होगी जो पंचायत समिति या जिला परिषद् की विशेष बैठक के लिए हो।
(3) स्थायी समिति के लिए गणपूर्ति ऐसी समिति के अध्यक्ष को सम्मिलित करते हुए तीन की होगी।
52. स्थायी समितियों के परस्पर विरोधी सकल्प – किसी भी ऐसे मामले में जिसमें दो या अधिक स्थायी समितियों ने परस्पर विरोधी सकल्प पारित किये हों, विकास अधिकारी मामले को पंचायत समिति के और मुख्य कार्यपालक अधिकारी, जिला परिषद् के समक्ष रखेगा और पंचायत समिति/ जिला परिषद् के अंतिम विनिश्चय के लंबित रहते विकास अधिकारी/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी विवादग्रस्त मामले के विषय में सारी कार्यवाही को रोके रखेगा।
53. अधिकारियों की उपस्थिति – (1) विकास अधिकारी या मुख्य कार्यपालक अधिकारी स्थायी समितियों की *बैठकों के लिए सचिव होगा और सभी बैठकों में उपस्थित रहेगा* जब तक कि वह बीमारी, छुट्टी या पंचायत समिति/जिला परिषद् के मुख्यालय से बाहर अत्यावश्यक पदीय कार्य के कारण निवारित न हो।
(2) ऐसे मामले मे *विकास अधिकारी या, यथास्थिति, मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा नियुक्त कोई अधिकारी सचिव के कृत्यों का पालन करेगा और ऐसी बैठकों में उपस्थित होगा*, और विकास अधिकारी या, यथास्थिति, मुख्य कार्यपालक अधिकारी के लौटने पर किये गये विनिश्चयों के बारे में सूचित करेगा।
*(3) यदि स्थायी समिति को यह प्रतीत हो कि सम्बन्धित पंचायती राज संस्था की अधिकारिता में पदस्थापित सरकार के किसी अधिकारी की उपस्थिति उसकी बैठकों में वांछनीय है, तो विकास अधिकारी या मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बैठक की तारीख से कम से कम तीन दिन पूर्व ऐसे अधिकारी को सूचित करेगा और ऐसा अधिकारी जब तक कि बीमारी या किसी अन्य युक्ति युक्त कारण से निवारित न हो बैठक में उपस्थित होगा।*
54. विनिश्चयों का अनुपालन – स्थायी समितियों द्वारा किये गये विनिश्चयों और उन पर की गई कार्यवाही के बारे में क्रमश: पंचायत समिति/ जिला परिषद् की आगामी बैठक के पूर्व प्रधान/ प्रमुख को सूचित करने का विकास अधिकारी/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कर्तव्य होगा।
55. प्रशासन और वित्त के लिए स्थायी समिति द्वारा रोक आदेश – अप्राधिकृत अधिक्रमण या अप्राधिकृत सन्निर्माण के संबंध में पंचायत समिति द्वारा पंचायतों के विनिश्चयों के विरूद्ध अपीलों पर विचार करते समय रोक आवेदन पर–
(क) पंचायत को सुनवाई का अवसर दिये बिना,
(ख) भूमि के प्रति हक का सत्यापन किये बिना,
(ग) पंचायत द्वारा दी गई सन्निर्माण अनुज्ञा के बिना, विनिश्चय नहीं किया जायेगा।
56. सदस्य का सूचना अभिप्राप्त करने का और अभिलेखों के प्रति पहुँच का अधिकारी – किसी पंचायती राज संस्था को सदस्य को, सचिव/ विकास अधिकारी/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी को सम्यक् नोटिस देने के पश्चात कार्यालय समय के दौरान पंचायती राज संस्था या उसकी किसी स्थाई समिति, यदि कोई हो, के प्रशासन से सबंधित किसी भी विषय पर सूचना अभिप्राप्त करने का और उसके अभिलेखों के प्रति पहुँच का अधिकार होगा। तथापि, वे संबंधित पंचायती राज संस्था के अध्यक्ष के अनुमोदन से और, लेखबद्ध किये जाने वाले कारणों से कोई भी सूचना विशेष देने से या किसी भी अभिलेख विशेष के प्रति पहुँच अनुज्ञात करने से इन्कार कर सकेंगे।