जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण | Hindi Form Birth Death Registration

 

**जन्म-मृत्यु का पंजीकरण करवाना कानूनन अनिवार्य है** 

 Birth and Death Registration Rules – जन्म मृत्यु पंजीयन

1. जन्म और मृत्यु पंजीकरण – 

परिवार में किसी शिशु के जन्म अथवा किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर इसकी सूचना अपने क्षेत्र के जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार कार्यालय (ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत कार्यालय एवं शहरी क्षेत्र में नगर पालिका / नगरपरिषद / नगर निगम कार्यालय) को देकर जन्म अथवा मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करना, जन्म अथवा मृत्यु का रजिस्ट्रीकरण कहलाता है। 

जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 एवं राजस्थान जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2000 के तहत राज्य में जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण कराना कानूनन अनिवार्य है।

2. पंजीकरण का महत्व – 

जन्म एवं मृत्यु का रजिस्ट्रीकरण सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिये अनिवार्य है। जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण से प्राप्त सूचनायें हमारी योजनाओं के नीति निर्धारण में सहायक होती है। अतः जन्म एवं मृत्यु का रजिस्ट्रीकरण निम्न प्रकार उपयोगी है:-

* भारत में जनगणना 10 वर्ष के अन्तराल से होती है। जिसमें प्रत्येक 10 वर्ष में एक बार जनसंख्या और उसकी विशेषताओं का पता चलता हे। परन्तु हमारे देश की योजनाओं के निर्माण एवं क्रियान्वयन हेतु विभिन्न स्थानों की प्रतिवर्ष जनसंख्या में हुई वृद्धि एवं परिवर्तन आदि के सम्बन्ध में आंकड़ों की आवश्यकता होती है। इसलिये यदि जन्म-मृत्यु के आंकड़े पूर्ण रूप से उपलब्ध हो तो किसी भी समय, किसी भी स्थान की जनसंख्या का विश्वसनीय अनुमान लगाया जा सकता है।

* परिवार कल्याण कार्यक्रम की सफलता, जन्म दर द्वारा ज्ञात की जा सकती है।

* मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर एवं मृत जन्म दर के आंकड़ों के आधार पर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं का विस्तार किया जा सकता है ।

* मृत्यु के रजिस्ट्रीकरण के समय मृत्यु का कारण भी लिखा जाता है जिसमें बीमारियों की प्रवृत्ति का पता चलता है एवं यह भी ज्ञात होता है कि किस-किस क्षेत्रा में किस बीमारी का अधिक प्रकोप है। इन सबके आधार पर चिकित्सा सेवाऐं उपलब्ध कराई जा सकती है।

* क्षेत्र विशेष में जनसंख्या के आधार पर ही शिक्षण संस्थायें खोलने, पेयजल योजनाओं को लागू करने तथा विद्युतीकरण करने इत्यादि कार्यक्रमों को भी हाथ में लिया जाता है।

* जन्म-मृत्यु के रजिस्ट्रीकरण के पश्चात आवेदक को जन्म/मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जाता है, जिसके निम्न लिखित उपयोग हैं:-

(I) जन्म प्रमाण पत्र के लाभ-

1. स्कूल प्रवेश

2. ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए।

3. पासपोर्ट बनवाने के लिए।

4. बीमा पॉलिसी लेना।

5. राशन कार्ड में नाम दर्ज कराने के लिए।

6. सामाजिक सुरक्षा के लाभ।

(II) मृत्यु प्रमाण पत्र के लाभ-

1. संपत्ति के उत्तराधिकार के लिए।

2. पेंशन और बीमा आदि के मामलों को निपटाने के लिए।

3. संपत्ति के दावों को निपटाने के लिए।

4. भूमि के परिवर्तन के लिए।

क्या आप अपनी उम्र का प्रमाण दे सकते हैं? यह जन्म प्रमाण पत्र की मदद से किया जा सकता है।

3. जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन कैसे करवाएं?

* प्रत्येक ग्राम पंचायत/नगर पालिका/नगर परिषद/नगर निगम मुख्यालय पर जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार का कार्यालय स्थापित है,अतः जन्म-मृत्यु की सूचना घटना घटित होने के 21 दिन के अन्दर रजिस्ट्रार कार्यालय को देकर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र निःशुल्क प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिये परिवार के मुखिया या उसके नजदीकी रिश्तेदार द्वारा प्रपत्र-1 में जन्म की सूचना एवं प्रपत्र-2 में मृत्यु की सूचना भरकर देनी होती है। जन्म का रजिस्ट्रीकरण बच्चे के नाम के बिना भी करवाया जा सकता है। बच्चे का नाम बाद में भी दर्ज करवाया जा सकता है।

* जिस जन्म या मृत्यु की सूचना निर्धारित अवधि 21 दिन के पश्चात् परन्तु 30 दिन के भीतर दी जावेगी उसके लिए एक रूपया विलम्ब फीस जमा करवाकर रजिस्ट्रार कार्यालय से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है।

* जिस जन्म या मृत्यु की घटना की सूचना निर्धारित अवधि के पश्चात् 30 दिन से अधिक परन्तु एक वर्ष के भीतर स्थानीय रजिस्ट्रार को दी जाती है तो उसके लिये निर्धारित प्रारूप पर आवेदक को एक शपथ पत्रा देना होगा जो कि नोटेरी पब्लिक से तस्दीक कराना होगा तथा इस पर सम्बन्धित जिला रजिस्ट्रार ( जिला सांख्यिकी अधिकारी) एवं अतिरिक्त जिला रजिस्ट्रार (विकास अधिकारी) की लिखित अनुज्ञा प्राप्त करनी होगी। जिला रजिस्ट्रार ऐसी घटना के लिए सम्बन्धित रजिस्ट्रार को एक रूपया विलम्ब शुल्क लेकर रजिस्ट्रीकरण करने के निर्देश देगा तथा सम्बन्धित रजिस्ट्रार द्वारा जन्म-मृत्यु का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।

* भारत सरकार ने जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 में यह सुविधा दी है कि जन्म या मृत्यु की घटना चाहे कितनी भी पुरानी हो उसका रजिस्ट्रीकरण नियम 9(3) के अन्तर्गत कराया जा सकता है परन्तु इसके लिये कुछ कानूनी प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी। जहाॅ पर जन्म या मृत्यु की घटना हुई है उसी क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट से उक्त घटना को पंजीकृत करवाने हेतु अनुज्ञा प्राप्त करेगा । अनुज्ञा प्राप्त कर आवेदक स्थानीय रजिस्ट्रार के कार्यालय में जाकर घटना का रजिस्ट्रीकरण कराने हेतु प्रार्थना पत्रा प्रस्तुत करेगा। रजिस्ट्रार ऐसी घटनाओं के रजिस्ट्रीकरण हेतु एक रूपया विलम्ब शुल्क लेकर घटना का रजिस्ट्रीकरण करेगा और जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र आवेदक को प्रदान करेगा।

* कार्यकारी मजिस्ट्रेट में मुख्यतः निम्नलिखित अधिकारियों को सम्मिलित किया गया है:

1.जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट

2.उप खण्ड अधिकारी

3.अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट

4.सहायक कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट

5.सिटी मजिस्टेªट

6.तहसीलदार

4. विलम्बित घटनाओं का रजिस्ट्रीकरण-

जन्म-मृत्यु की जो घटना निर्धारित अवधि के पश्चात् रजिस्ट्रीकृत कराई जावेगी उसके लिए नियमानुसार विलम्ब शुल्क देय होगा। यह विलम्ब शुल्क पारिवारिक घटना के लिये परिवार के मुखिया से लिया जावेगा, परन्तु चिकित्सा संस्थाओं के द्वारा विलम्ब से भेजी जाने वाली घटनाओं के लिए यह विलम्ब शुल्क संस्था के प्रभारी अधिकारी को अपनी जेब से देना होगा, संस्था के बजट से नहीं। विलम्ब शुल्क किसी भी हालत में माफ नहीं किया जा सकता है।

5. बालक के नाम का रजिस्ट्रीकरण-

1. जहाॅं किसी बालक का जन्म नाम के बिना रजिस्ट्रीकृत किया गया है वहाॅं ऐसे बालक का माता/पिता या संरक्षक लिखित या मौखिक रूप में रजिस्ट्रीकरण की तारीख से 12 मास के भीतर बालक के नाम के सम्बन्ध में इत्तिला रजिस्ट्रार को देगा तो उसके बालक का नाम रजिस्टर में लिख दिया जावेगा और उसे नाम वाला जन्म प्रमाण-पत्राजारी किया जावेगा।

2. परन्तु ऐसी कोई इत्तिला 12 मास की अवधि के पश्चात् लेकिन 15 वर्ष के भीतर दी जाती है तो रूपये 5/- विलम्ब शुल्क जमा करा कर रजिस्ट्रार नाम की प्रविष्टि करेगा।

उपबन्ध

1. अधिनियम, 1969 की धारा 20(1) के तहत विदेश में रहने वाले भारतीयों के जन्म-मृत्यु की घटना का रजिस्ट्रीकरण नागरिकता अधिनियम, 1955 के अन्तर्गत भारतीय कौंसिल कार्यालयों में किया जाता है। इनके द्वारा जारी प्रमाण-पत्र सभी कार्यों के लिए मान्य हैं।

2. अधिनियम, 1969 की धारा 20 (2) के तहत ऐसे बालक जिसका जन्म भारत के बाहर हुआ है और उसके माता-पिता ऐसे बालक के जन्म का भारत में रजिस्ट्रीकरण कराना चाहते हैं और इस इरादे से आए हों कि उनको अब भारत में ही रहना है तो वे भारत आने की तिथि से 60 दिन के अन्दर जन्म का रजिस्ट्रीकरण करवा सकते हैं, इस अवधि के उपरान्त नियम 9 (2 व 3) के अनुसार रजिस्ट्रीकरण किया जावेगा। बिना नाम वाला जन्म प्रमाण पत्र अधूरा है। बच्चे के नामवाला जन्म प्रमाण पत्र ही पूरा है।

6. जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण करवाने के लिए उत्तरदायी कौन ?

* जो जन्म या मृत्यु घर पर होती है उसका रजिस्ट्रीकरण करवाने के लिये उस परिवार का मुख्यिा या मुखिया की अनुपस्थिति में कोई निकटतम सम्बन्धी उत्तरदायी होगा तथा वह स्थानीय रजिस्ट्रार को घटना की सूचना लिखित या मौखिक रूप से देगा। मौखिक रूप से सूचना देने पर यह आवश्यक है कि सूचनादाता जन्म-मृत्यु रजिस्टर में अपने हस्ताक्षर करें। यदि अनपढ़ है तो अंगूठा निशानी लगावें।

* जो जन्म या मृत्यु अस्पताल , पुलिस स्टेशन , होटल, धर्मशाला जेल में होती है ऐसी घटना की सूचना देने के लिये उस संस्था के प्रभारी अधिकारी को उत्तरदायी बनाया गया है

* ऐसी जन्म-मृत्यु की घटना , जैसे लावारिस मृत व्यक्ति, नवजात शिशु -जीवित या मृत इन घटनाओं के रजिस्ट्रीकरण के लिये गाॅव का मुखिया/ सरपंच तथा अन्य स्थानों के लिए पुलिस अधिकारी को उत्तरदायी बनाया गया है।

* उपरोक्त बिन्दु संख्या 1. 2 व 3 में वर्णित व्यक्तियों के अतिरिक्त निम्नलिखित कर्मचारियों / व्यक्तियों का भी उत्तरदायित्व है कि जन्म/मृत्यु की घटना की सूचना स्थानीय रजिस्ट्रार को देवें । 

(1) जन्म या मृत्यु के समय उपस्थित दाई या अन्य चिकित्सीय या स्वास्थ्य परिचारक 

(2) श्मशान भूमि के पास लकड़ी बेचने वाले , कब्र खोदने वाले या अन्य व्यक्ति ।

7. जन्म-मृत्यु अधिनियम एवं नियमों के उपबन्धों के उल्लंघन के लिए दण्ड प्रक्रिया-

1. जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 एवं राजस्थान जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2000 के द्वारा राज्य में जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण कानूनन अनिवार्य कर दिया गया है। अतः जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण हेतु जो उपबन्ध व नियम बनाये गये हैं उनकी पालना अनिवार्य रूप से की जानी है। यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से उनकी अवहेलना करता है तो वह अपराध की श्रेणी में आता है एवं उसे अधिनियम की धारा 23 के अन्तर्गत दण्डित किए जाने का प्रावधान है।

2. जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 की धारा 8(क) से 8(च) के अधीन जिन व्यक्तियों को जन्म और मृत्यु की घटना के रजिस्ट्रीकरण हेतु उत्तरदायी बनाया गया है जैसे परिवार के मुखिया, चिकित्सा संस्थाओं एवं अन्य संस्थाओं के प्रभारी अधिकारी आदि, यदि किसी जन्म/मृत्यु की घटना की इत्तला देने में लापरवाही करते हैं, तो उन पर 50 रूपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।

3. जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रीकरण के समय यदि गलत अथवा मिथ्या तथ्य दिए गए हैं तो इत्तला देने वाले को दण्डित किये जाने का प्रावधान है।

4. कोई जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार या उप रजिस्ट्रार जो अधिकारिता में होने वाले किसी जन्म या मृत्यु के रजिस्ट्रेशन के लिये मना करता है या धारा 19 की उपधारा (1) द्वारा अपेक्षित विवरणियां भेजने में उपेक्षा या इन्कार करता है तो उस पर रूपये 50/- तक का जुर्माना करने का प्रावधान है।

5. कोई चिकित्सा अधिकारी जो धारा 10 की उपधारा (3) के अधीन प्रमाण-पत्रा देने में उपेक्षा या इससे इन्कार करेगा तो उस पर रूपये 50/- तक का जुर्माना करने का प्रावधान है।

6. अधिनियम की धारा 24(1) के तहत अधिकारियों के प्रशमन करने की शक्ति मुख्य रजिस्ट्रार को प्रदत्त की गई है। इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए कोई अभियोजन मुख्य रजिस्ट्रार द्वारा साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत अधिकारी द्वारा ही संस्थित किया जाएगा अन्यथा नहीं।

7. रजिस्ट्रार को यह साबित हो जावे कि जन्म-मृत्यु के रजिस्टर में कोई प्रविष्टि कपटपूर्वक या अनुचित तौर पर की गई है, तो वह मुख्य रजिस्ट्रार की अनुमति से दोषी व्यक्ति के विरूद्ध न्यायालय में अभियोजन दर्ज करवा सकता है।

8. जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण का संगठन-

जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण को कानूनन अनिवार्य बनाने के पश्चात् इस कार्य को ठीक से करने हेतु निम्न प्रकार से पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है।

1. रजिस्ट्रार

(क) ग्रामीण क्षेत्रा ग्रामीण क्षेत्रा में ग्राम सेवक /ग्रुप सचिव , प्रधानाध्यापक,

प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय को जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार बनाया गया है। इसका कार्यालय प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित होता है।

(ख) शहरी क्षेत्रा नगरीय क्षेत्रों में संबंधित नगरपालिकाओं के अधिशाषी

अधिकारियों को जन्म/मृत्यु रजिस्ट्रार के पद पर बनाया गया हे परन्तु जिन नगर परिषदों की आबादी एक लाख से अधिक है, वहाॅ पर स्वास्थ्य अधिकारी को जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार बनाया गया है। इसका कार्यालय प्रत्येक नगर पालिका/नगर परिषद/नगर निगम मुख्यालय पर स्थित है।

2. अतिरिक्त जिला रजिस्ट्रार राज्य की समस्त पंचायत समितियों के विकास अधिकारियों को उनकी पंचायत समिति के लिये अतिरिक्त जिला रजिस्ट्रार बनाया गया है।

3. जिला रजिस्ट्रार प्रत्येक जिले के जिला सांख्यिकी अधिकारियों को संबंधित जिले का जिला रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है। एक लाख से अधिक जनसंख्या वाली नगर परिषदों / नगर निगमों के आयुक्तों / मुख्य कार्यकारी अधिकारी को क्रमशः उस नगर परिषद/ नगर निगम क्षेत्र के लिये जिला रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है।

4. उप मुख्य रजिस्ट्रार प्रत्येक जिले में मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं सचिव, जिला परिषद को उप मुख्य रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है।

5. अतिरिक्त मुख्य रजिस्ट्रार प्रत्येक जिले में जिला कलेक्टर को अतिरिक्त मुख्य रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है।

6. मुख्य रजिस्ट्रार राज्य सरकार द्वारा राज्य स्तर पर निदेशक, आर्थिक एवं सांख्यिकी को राजस्थान के मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) पद पर नियुक्त किया गया है तथा इसका कार्यालय योजना भवन, तिलक मार्ग, सी-स्कीम, जयपुर में है। समस्त ग्राम पंचायतों/नगर पालिकाओं/नगर परिषदों/नगर निगमों में रजिस्ट्रारों की नियुक्तियां, मुख्य रजिस्ट्रार, राजस्थान द्वारा की जाती है।

7. भारत के महारजिस्ट्रार समस्त राष्ट्र के लिए केन्द्र सरकार ने एक महारजिस्ट्रार की नियुक्ति की है, जिसका कार्यालय 2-ए, मानसिंह रोड़, नई दिल्ली में है।

Leave a Comment